शर्मसार है लोकतंत्र! मर चुके है हम !

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कहाँ से कहाँ जा रहा है देश?
बेटे के शव की ऐसी निष्ठुर सौदेबाजी?
गरीबों का सगा सिर्फ़ दुख ही है, अगर यह दुख कलेजा चीर जाए तब भी, वे ख़ुद को लाश बनाकर इस दुख को ढोते रहेंगे.
बिहार, समस्तीपुर के सदर अस्पताल में पोस्टमार्टम के बाद माता-पिता से बेटे का शव सौंपने के एवज में पचास हजार की रिश्वत मांगी गई.
जवान बेटे की मौत सबसे बड़ा सदमा है एक माता-पिता के लिए. इस असीम दुख को सहते हुए रिश्वत की रकम को भीख मांग कर जमा करने में लगे हैं दोनों. मनुष्यता के तौर पर इसे हमारी पराजय ही कहा जाएगा. इस मामले में डीएम-सीएम-पीएम को मुल्क़ के हर गरीब माँ-बाप से इस वचन के साथ माफी मांगनी चाहिए कि भविष्य में ऐसी घटना किसी हाल दुहरायी नहीं जाएगी!
मगर यह तब सम्भव होता जब कोई जिंदा सरकार होती..जिंदा प्रशासन होता! यह घटना बताती है कि लोकतंत्र कितना बर्बर चेहरा अख्तियार कर चुका है! रिश्वतखोरी किस तरह गरीब बाप की हथेलियों पर पसरे गमछे पर अश्लील नृत्य कर रही है ! ऐसा शासक भी सुशासन बाबू की कलगी खोंस कर मुस्कुरा लेता है! नहीं आती है लाज..नहीं रुकती कोई दिनचर्या!!
शर्मसार है लोकतंत्र! मर चुके है हम !
-शंकर प्रलामी

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