डीएम साहब! गाँव का नहीं, अपना विकास कर रहे हैं शाहगढ़ के ग्राम पंचायत विकास अधिकारी

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गाँव के कुछ नागरिकों ने ग्राम पंचायत में व्याप्त भ्रष्टाचार की लिखित शिकायत भी उच्चाधिकारियों से किया था किन्तु नीचे के अधिकारियों ने उक्त गंभीर प्रकृति की शिकायतों को अपने कलम कौशल से निक्षेपित करते हुए उसे ठंडे बस्ते के हवाले कर दिया है…

आजमगढ़। जिला मुख्यालय से लगभग 3 किमी पूरब स्थित ग्राम पंचायत शाहगढ़ के ग्राम पंचायत विकास अधिकारी का अतिरिक्त पदभार ग्रहण करते ही जनाब आलोक कुमार गौतम साहब भ्रष्टाचार की गंगोत्री में डुबकी लगाना शुरू कर दिये हैं। आलोक कुमार गौतम जी जिस गति से घोटाले की घुट्टी पी रहे हैं, यदि समय रहते उनके उपर लगाम नहीं लगाई गई तो पूरे गाँव का विकास वह एक दो महीने में ही कर देंगे।
बताते चलें कि उक्त आलोक कुमार गौतम ने अभी विगत 29 अप्रैल 2023 को ग्राम पंचायत शाहगढ़ का अतिरिक्त प्रभार ग्रहण किया है। इसके अलावा बिहरोजपुर, बैठौली, दौलतपुर, सरदारपुर गाँव का अतिरिक्त प्रभार भी है। जिसका कलस्टर अलग है। जबकि उनके पास ग्राम पंचायत असोना, अवांव, महुवां मुरारपुर और पूसड़ा आयमा गाँवों का चार्ज पहले से ही है। जिसका क्लस्टर काफी दूर हैं।
विश्वस्त सूत्रों की माने तो जनाब आलोक कुमार गौतम जी की विभाग में काफी धमक है। वह नाजायज कमाई से अपनी कई पुश्तों को भला करना चाहते हैं। शायद उनके इसी मंशा को पूर्ण करने के लिए सठियांव के खण्ड विकास अधिकारी ने विधि विरूद्ध जाकर कलस्टर के नियमों को ताख पर रखकर सुदूर कलस्टर का गाँव आवंटित कर दिया है। ताकि वहां पक रही खिचड़ी की महक किसी दूसरे को न मिले।
जनहित इंडिया को मिली जानकारी के मुताबिक ग्राम पंचायत विकास अधिकारी आलोक कुमार गौतम ने एक सप्ताह के अन्दर ही लगभग साढ़े पाँच लाख का काम ही नहीं करवा दिया बल्कि 05 मई 2023 को भुगतान भी कर दिया। यदि वह इसी स्पीड से काम और भुगतान करेंगे तो निश्चय ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के सपनों को साकार करते हुए भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस की नीति को कोसों दूर छोड़ देंगे। अभी मुख्यमंत्री जी ने कल ही कहा था कि हम बुंदेलखंड को स्वर्ग बनाएंगे। किन्तु लगता है आलोक जी उससे पहले शाहगढ़ को स्वर्ग बना देंगे। तक सवाल यह उठेगा कि बेचारे शाहगढ़ निवासी क्या स्वर्गवासी हो जायेंगे?
ग्राम पंचायत शाहगढ़ की ग्राम प्रधान श्रीमती सरोज मौर्य हैं। उनके पति वीरेन्द्र मौर्य जो मोहम्मदपुर ब्लॉक के सूरजनपुर गाँव में सफाईकर्मी के दायित्व का इस कदर निर्वहन करते हैं कि जब देखिये तब वह सठियांव ब्लाक मुख्यालय पर चक्रमण करते मिल जायेंगे। उनके इसी कर्तव्यनिष्ठा पर गाँव की जनता जनाना चाहती है कि सूरजनपुर के प्रधान या ग्रामीणों की कृपा पर सफाईकर्मी का काम किए बिना ही वेतन डकार जाने के मास्टरमाइंड व प्रधान पति वीरेन्द्र मौर्य कभी अपने गाँव शाहगढ़ के सामुदायिक शौचालय (इज़्ज़त घर) की दुर्दशा फूटी आँख से भी नहीं देखते हैं। जो पिछले छह सात महीनों से बन्द है। उक्त शौचालय के आसपास के निवासी इस बावत सवाल उठाते हैं कि जब शौचालय लगभग छह महीने से बन्द है तो मार्च 2023 तक उक्त शौचालय के रखरखाव व देखरेख के नाम पर भुगतान क्यों कर दिया गया है?
इस बावत जब ग्राम पंचायत विकास अधिकारी से सम्पर्क करने का प्रयास किया गया तो उनका मोबाइल स्विच ऑफ था, इसके बाद प्रधान पति ने दूरभाष पर बताया कि नवागत ग्राम पंचायत विकास अधिकारी बहुत अच्छे इन्सान हैं। वह बेचारे आते ही एक सप्ताह के अन्दर ग्राम पंचायत का बहुत पुराना भुगतान कर दिये। जिसे इसके पहले के दो सेक्रेटरी नहीं कर रहे थे। शौचालय के फर्जी भुगतान की बात पूछने पर प्रधान पति ने अनभिज्ञता जाहिर करते हुए कहा कि इस बारे सेक्रेटरी साहब ही बतायेंगे। तत्पश्चात एडीओ पंचायत सुनील मिश्रा ने बताया कि गाँव पंचायत में हुए फर्जी भुगतान की जानकारी मेरे संज्ञान में नहीं है। प्रधान पति गाँव का काम लेकर अक्सर मेरे पास आते हैं। ऐसे में अब सवाल यह उठता है कि जब दो सेक्रेटरियो ने भुगतान नहीं किया तो आलोक जी को इतनी जल्दी क्या थी? जो जूनियर हाई स्कूल में लगी टाइल्स का भुगतान आनन-फानन में कर दिये तथा जब शौचालय हमेशा बन्द ही रहता है तो लक्ष्मी आजीविका स्वयं सहायता समूह को 36000/- की लक्ष्मी बिना काम के क्यों दे दिया? इसलिए ग्रामीणों का मानना है कि हमारे गाँव के भ्रष्टाचार की दाल में काला नहीं है बल्कि पूरी दाल ही काली है। जिसकी निष्पक्ष जांच जरूरी है।
यहाँ इस बात का उल्लेख भी समीचीन है कि इसके पहले भी गाँव के कुछ नागरिकों ने ग्राम पंचायत में व्याप्त भ्रष्टाचार की लिखित शिकायत भी उच्चाधिकारियों से किया था किन्तु नीचे के अधिकारियों ने उक्त गंभीर प्रकृति की शिकायतों को अपने कलम कौशल से निक्षेपित करते हुए उसे ठंडे बस्ते के हवाले कर दिया है।
इसप्रकार ग्राम पंचायत शाहगढ़ के निवासी जिलाधिकारी व मुख्य विकास अधिकारी से गाँव में ग्राम पंचायत विकास अधिकारी के द्वारा कराये गये कार्यों और उसके भुगतान की निष्पक्ष जांच की मांग करते हैं। तथा कहते हैं कि यदि मौके पर काम किये बिना ही काग़ज़ी काम के जरिये फर्जी भुगतान हुआ है तो उसके दोषियों के विरूद्ध कठोर दण्डात्मक कार्यवाही होनी चाहिए। जिससे भ्रष्टाचार पर लगाम लग सके। और सरकार द्वारा गाँव के विकास हेतु भेजे गये धन का सदुपयोग हो।

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