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Uttar Pradesh News : सुल्तानपुर में मोहर्रम की धूम है… इस्लाम धर्म में मोहर्रम की बहुत अहमियत है… नए इस्लामी साल की शुरुआत मुहर्रम से होती है….मुहर्रम का महीना इस्लामिक कैलेंडर का पहला महीना है.
इस साल अंग्रेजी कैलेंडर के मुताबिक मुहर्रम का महीना 11 अगस्त से शुरू होगा…. और 19 अगस्त को आशूरा होगा… लेकिन इस बार सरकारी गाइडलाइन के हिसाब से प्रदेश में कहीं भी मोहर्रम का जुलूस और सार्वजनिक मातम नहीं किया जा सकता…
मोहर्रम का चांद निकलते ही सुल्तानपुर में मंगलवार से अजादारों ने काला लिबास पहन लिया… घर-घर में या हुसैन की सदाएं गूंज उठीं… इस दौरान दुनिया भर में कर्बला के शहीदों की याद में सभाएं और जुलूस निकाले जाते हैं.
मुहर्रम अंतिम पैगंबर हज़रत मुहम्मद साहब के नवासे इमाम हुसैन और उनके साथियों की शहादत की याद में मनाया जाता है… दुनिया भर में मुसलमान मुहर्रम की 9 और 10 तारीख को रोज़ा रखते हैं और मस्जिदों, घरों में इबादत करते हैं… इस दिन मस्जिदों में हज़रत इमाम हुसैन की शहादत पर विशेष तकरीरें होती हैं… इस पर्व को शिया और सुन्नी दोनों मुस्लिम समुदाय के लोग अपने-अपने तरीके से मनाते हैं… आज से लगभग 1400 साल पहले इसी महीने में बातिल यानी झूठ और अन्याय के विरुद्ध इंसाफ की जंग लड़ी गई थी… इस पवित्र महीने में इसी जंग को और इसमें शहीद होने वालों को याद किया जाता है… इस तरह मुहर्रम मातम और गम का दिन है.
हुसैनी शिया वेलफेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष हैदर अब्बास खान ने बताया कि मोहर्रम एक ऐसा महीना है, जिसकी दसवीं तारीख को पैगम्बर मोहम्मद साहब के नवासे हजरत इमाम हुसैन ने अपने 72 साथियों की शहादत करबला के मैदान में पेश कर इंसानियत के दुश्मन जालिम शासक यजीद से इस्लाम और इंसानियत को बचाया था..
उन्हीं इमाम हुसैन की याद में दो माह आठ दिन गम मनाया जाता है… हैदर अब्बास खां बताते हैं कि मोहर्रम गम का महीना है, जो इंसानियत का पैगाम देता है…. मोहर्रम हमें अहिंसा, मानव अधिकार, मोहब्बत व एकता का पाठ पढ़ाता है.
Uttar Pradesh News : हालांकि इस बार सरकार की तरफ से जारी सर्कुलर के हिसाब से पूरे प्रदेश में मोहर्रम के जुलूस और मातम पर रोक लगा दी गई है… कोविड प्रोटोकॉल का हवाला देते हुए यह रोक लगाई गई है जिसके बाद शिया समुदाय में काफी गुस्सा है… जारी गाइड लाइन में साफ लिखा है कि मोहर्रम के दौरान कोरोना संक्रमण फैला खतरा है लिहाजा किसी भी तरह के जुलूस या जलसे की इजाजत नहीं दी जा सकती… सरकार के इस फैसले के बाद शरीर में काफी गुस्सा है… हालांकि अब लोग अपने घरों में ही मातम और और मजलिसे कर रहे हैं