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भारत के संविधान की 72वीं वर्षगाठ के उपलक्ष्य में दिनेश चंद, मा0 जनपद न्यायाधीश/अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, आजमगढ़ की अध्यक्षता में “हॉल ऑफ जस्टिस’’ जनपद न्यायालय आजमगढ़ में भारतीय संविधान दिवस मनाया गया।
इस अवसर पर मा0 जनपद न्यायाधीश दिनेश चंद द्वारा समस्त न्यायिक अधिकारीगण व कर्मचारीगण को भारतीय संविधान में निष्ठा रखने एवं संविधान का अनुपालन सुनिश्चित करने हेतु संविधान की उद्देशिका का शपथ दिलाया गया तथा मौलिक कर्तव्यों के बारे में बताया गया। मा0 जनपद न्यायाधीश ने बताया कि विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र के संविधान को आज ही के दिन अंगीकार किया गया था। भारतीय संविधान की सफलता का मूल आधार संविधान सभा में भारतीय समाज के हर छोटे बड़े वर्गों को प्रतिनिधित्व देने की कोशिश करना है। भारतीय संविधान देश के प्रत्येक नागरिक को मौलिक अधिकार प्रदान करता है साथ ही उनके मूल कर्तव्यों की व्याख्या करता है। संविधान साधारणतया नियमों, कानूनों और विनियमों का एक ऐसा संग्रह है जो किसी भी देश के प्रशासन का मार्गदर्शन करता है जिसके द्वारा राजनीतिक प्रक्रियाओं, सिद्धातों और आमजन की भूमिका के लिए रूपरेखा और दिशा-निर्देश प्रदान किए जाते है। संविधान सभा के प्रारूप समिति के सभापति डा0 बीआर अम्बेडकर ने ही संविधान प्रारूप का प्रस्ताव रखा था। इस प्रकार 26 नवम्बर, 1949 की तिथि भारतीय गणतंत्र के लिए ऐतिहासिक महत्व की है। डा0 अम्बेडकर ने 25 नवम्बर, 1949 को संविधान सभा के अंतिम भाषण में कहा था कि “संविधान चाहे जितना अच्छा हो यदि उसे संचालित करने वाले लोग बुरे है तो वह निश्चित बुरा हो जाता है और यदि उसे संचालित करने वाले लोग अच्छे है तो वह संविधान निश्चित अच्छा होता है।”
संविधान दिवस के अवसर पर सुश्री अनीता सचिव, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, आजमगढ़ ने बताया कि किसी भी देश के संविधान की उद्देशिका उस देश का आईना होती है। भारतीय संविधान भारत के लोगों के लिए अपने आप में विशेष अधिकार समाहित किये हुए है और एकता एवं अखण्डता का अक्षुण्य बनाने में भी पुरी तरह से सुदृढ़ है।
संविधान दिवस के अवसर पर समस्त न्यायिक अधिकारीगण, कर्मचारीगण, पराविधिक स्वयं सेवकगण उपस्थित रहे।