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कंस रूपी कुपोषण से अनगिनत बच्चों को काल-कवलित होने से बचाने, संतुलित आहार और पोषक तत्वों की जानकारी के अभाव में कुपोषण की शिकार अनगिनत माताओं का जीवन बचाने तथा निर्धन और निम्न आय वर्ग के शिशुओं का प्राथमिक शिक्षा ग्रहण करने लायक बाल मन और मस्तिष्क विकसित करने के लिए निरन्तर प्रयास करने वाली ऑगनवाडी कर्मियों को स्वयं के परिवार के भरण-पोषण के लिए आज भी सरकार से संघर्ष करना पड रहा है। भारत सरकार द्वारा निर्धारित न्यूनतम मजदूरी के मापदंडो की पूर्णतः अनदेखी करते हुए ऑगनवाडी कर्मियों को महज 5500 रुपये मासिक मानदेय दिया जाता हैं।जिसमें 4500 रुपये केन्द्र सरकार द्वारा और 1000 रुपये राज्य सरकार द्वारा दिया जाता हैं।
ऑगनवाडी केन्द्रों पर कार्य करने वाली कर्मियों को किसी तरह की पेंशन, चिकित्सकीय सुविधा, आकस्मिक अवकाश और स्वयं की संततियो के लिए किसी तरह के शैक्षणिक लाभ इत्यादि सुविधाओं से वंचित रखा गया है। जबकि- ऑगनवाडियो को उनकी भूमिका को ध्यान में रखते हुए पूर्णतः सरकारी कर्मचारी का दर्जा मिलना चाहिए । आंगनवाड़ी कार्यकत्रियो के अतिरिक्त आशा बहनों रसोइया शिक्षामित्रों सहित अन्य स्कीम वर्करों को राज्य कर्मचारी का दर्जा मिलना चाहिए। क्योंकि सरकार की जन कल्याणकारी नीतियों योजनाओं और कार्यक्रमों को अमलीजामा पहनाने में इनकी भी महत्वपूर्ण भूमिका होती हैं। राजधानी में बैठे शासकों-प्रशासकों को लगता है कि-ऑगनवाडी से जुड़ी महिलाएं महज दो-तीन घंटे ही कार्य करती है । जबकि सच्चाई इसके विपरीत हैं फील्ड वर्क होने के कारण ऑगनवाडी कर्मियों को लगभग आठ-दस घंटे तक कार्य करना पडता है। इसके साथ ही ऑगनवाडी कर्मी बुनियादी स्तर पर टीका करण, कुपोषणमुक्ति, शिक्षा, स्वास्थ्य और स्वास्थ्य जागरूकता की दृष्टि से महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। समय-समय पर देश में हैजा, कालरा प्लेग, तावन, कुकुरखॉसी जैसी अनगिनत महामरियाॅ आई और आम जनमानस के लिए जानलेवा साबित हुई।
स्वाधीनता उपरांत मांहामारियों से निजात पाने के लिए टीकाकरण अभियान चलाया गया। पूर्व और वर्तमान की तमाम महामारियों से बचपन को सुरक्षित रखने के लिए टीकाकरण अभियान निरन्तर देश भर में व्यापक पैमाने पर चलाया जाता हैं। इस अत्यंत आवश्यक टीकाकरण अभियान को सफल बनाने के लिए आंगनवाड़ी कार्यकत्रियाॅ आशा बहनों और अन्य स्वास्थ्यकर्मियों के साथ मिलकर पूरी तन्मयता और क्षमता से प्रयास करती हैं। करोड़ों गर्भवती महिलाओं को और करोडो नवजात शिशुओं को स्वस्थ्य और सुरक्षित जीवन प्रदान करने के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन के निर्देश पर टीकाकरण अभियान चलाया जाता हैं। इस ग्लोबल टीकाकरण अभियान को सफल बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका आंगनवाड़ी कार्यकत्रियो द्वारा ही निभाया जाता है। भारत सहित तीसरी दुनिया के देशों में कुपोषण की समस्या एक गम्भीर, व्यापक और चिंताजनक समस्या बनी हुई है। खासकर भारत के बिमारू राज्यों में बाल कुपोषण दर लगभग चालीस प्रतिशत से ऊपर है। कुपोषण मिटाने की दिशा में सरकार ने कई कार्यक्रम और योजनाएं आरम्भ की। जिसमें सबसे कारगर और स्थाई कार्यक्रम बाल पुष्टाहार विभाग द्वारा चलाया जाता हैं।
महिला एवं बाल कल्याण विभाग द्वारा माताओं और बच्चों को कुपोषण से पूर्णतः मुक्त और स्वस्थ्य रखने की आंगनवाड़ी कार्यकत्रियो के कंधों पर ही होती है। किसी भी पृष्ठभूमि की महिला हो उसको स्वयं को स्वस्थ्य रहने तथा स्वस्थ रहकर अपने बच्चों का उचित प्रकार पालन-पोषण की सूझ-बूझ और समझदारी ऑगनवाडी कर्मियों द्वारा ही दी जाती है। प्रसव पूर्व और प्रसव उपरांत शिशुओं को जन्म देने वाली माताओं को स्वास्थ्य सम्बन्धी जानकारी ऑगनवाडियो और आशा बहनों द्वारा दी जाती है। आंगनवाड़ी कार्यकत्रियो के अतिरिक्त प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों में रसोईया बाल कुपोषण दूर करने में सर्वाधिक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं।
-मनोज कुमार सिंह (प्रवक्ता), बापू स्मारक इंटर कॉलेज दरगाह मऊ।