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• मुस्लिम मतों के बट जाने से सपा को हुआ नुकसान?
• यशवन्त ने निरहुआ को जीत की दहलीज पर खड़ा किया?
• मतदान समाप्ति पर मतदान प्रतिशत- 48.58%
• शाह आलम गुड्डू जमाली ने अकेले दम पर दिया सबको कड़ी टक्कर
-एम. सांकृत्यायन
आज़मगढ़ के लोकसभा उपचुनाव में कुल 48.58 प्रतिशत मतदान हुआ. मतदान के बाद मतदाताओं के क्षेत्र से निकलकर आ रही खबरों की माने तो इस सीट पर भाजपा के निरहुआ और बसपा के शाह आलम गुड्डू जमाली के बीच कड़ा मुकाबला है।
सपा के गढ़ में इसके कारणों की समीक्षा करें तो भाजपा को तीसरे पायदान से दो पायदान उपर चढ़ाने में जिन तीन लोगों का प्रमुख स्थान है। उनमें पहला स्थान पार्टी के कार्यकर्ताओं का, दूसरा स्थान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की लोकप्रियता का है।
इसी कड़ी में तीसरे स्थान की पूर्ति और बाकी बची खुची कोर कसर विधान परिषद सदस्य यशवन्त सिंह ने परसों देर रात आकर पूरी कर दिया। क्योंकि यशवन्त सिंह को पार्टी से निष्कासित किए जाने और इस चुनाव में नहीं आने से उनके हजारों कार्यकर्ताओं में मायूसी थी। चुनाव से ठीक एक दिन पहले यशवन्त सिंह आज़मगढ़ आकर अपने कार्यकर्ताओं, समर्थक ब्लॉक प्रमुखों, महाप्रधानों, बीडीसी एवं ग्राम प्रधानों को जो ऊर्जा दिया कि उनकी मायूसी मुस्कराहट में तब्दील हो गयी। जिसके परिणामस्वरुप एक दिन में परिणाम बदल गया।
इन सब के बावजूद अभी भी सपा को तीसरे स्थान पर स्वीकार करना कुछ अटपटा सा प्रतीत हो रहा है। किन्तु हकीकत यह है कि आज़मगढ़ सीट की चाभी मुस्लिम मतदाताओं के पास थी, जिसे गुड्डू जमाली ज्यादातर अपने पक्ष में करने में सफ़ल रहे। इसप्रकार शाह आलम गुड्डू जमाली ने अकेले दम पर सबको कड़ी टक्कर दिया।
ऐसी स्थिति में यह कहा जा सकता है कि इसमें तनिक भी सन्देह नहीं है कि त्रिकोणात्मक मुकाबले में हार-जीत का अन्तर बहुत कम रहेगा।
इसीलिए जनहित इंडिया के सूत्रों की माने तो आज़मगढ़ का ऊँट किस करवट बैठेगा, इसकी आधिकारिक घोषणा तो 26 जून को ही होगी।
(लेखक : जनहित इंडिया के सम्पादक हैं।)