
नागलोक परिसर बहुत साफ़ सुथरा, हरा भरा और प्राकृतिक खूबियों से सम्पन्न है, यहाँ एक बार आने पर बार बार आने को मन करता है,आप भी कभी वक्त निकाल कर नागपुर के भिलगाँव स्थित नागलोक में हो आइये, आपको अच्छा लगेगा !
नागलोक का संचालन त्रिरत्न बौद्ध महासंघ द्वारा किया जाता है, इसका ध्येय समता, स्वतंत्रता और बंधुत्व पर आधारित जातिविहीन समाज का निर्माण करना है, इस हेतु युवाओं को प्रशिक्षित किया जाता है, स्थानीय धम्मिक गतिविधियों का तो संचालन होता ही है, सम्पूर्ण भारत और अन्य बौद्ध देशों के साथ भी नेट्वर्क विकसित करने का शानदार काम नागलोक ने किया है.
मैं अगर एक से अधिक दिन के लिए नागपुर जाता हूँ तो एक बार भिलगांव स्थित नागलोक ज़रूर विज़िट करता हूँ. यह 15 एकड़ में फैला हुआ नागार्जुन ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट है, जिसमें विभिन्न प्रकार की सेमिनार, कार्यशालाएँ, धम्म प्रशिक्षण, ध्यान शिविर, धम्म शिविर, प्रवचन और वैचारिक चिंतन के कार्यकलाप होते रहते हैं, सिर्फ़ इतना ही नहीं बल्कि यहाँ पर आठ महीने के धम्म सेखिय प्रशिक्षण भी होता है जो बौद्ध धम्म, डॉक्टर अम्बेडकर और समाजकार्य का अध्ययन करवाता है, यहाँ पर बुद्धिज्म, अम्बेडकर विचार और पाली भाषा में स्नातक डिग्री हेतु नागार्जुन इंस्टिट्यूट कॉलेज भी संचालित होता है, जो नागपुर विश्वविध्यालय से मान्यता प्राप्त है,जिसमें देश भर के विभिन्न राज्यों से विद्यार्थी आ कर पढ़ाई करते हैं.
गौरतलब है कि इस संस्था की स्थापना ब्रिटिश नागरिक मान्यवर संघरक्षित ने की और बाद में मान्यवर लोकमित्र ने इस काम को आगे बढ़ाया. आज यह संस्थान भारत के 25 राज्यों में फैल चुका है, यहाँ के ऐलमुनाय का बड़ा नेट्वर्क कार्यरत है, काफ़ी विध्यार्थी बौद्ध देशों में डॉक्टरी व अन्य उच्च शिक्षा हेतु भी गए हैं.
नागलोक से जुड़े तेजदर्शन जी बताते हैं कि यह संस्थान संविधान के मूल्यों पर आधारित नया समाज निर्माण करने लिए समर्पित है. यह त्रिरत्न बौद्ध महासंघ से सम्बद्ध है,जो विश्व के 50 देशों और भारत के 25 प्रदेशों में कार्यरत है. नागलोक समता, स्वतंत्रता, बंधुत्व और न्याय के सार्वभौमिक मूल्यों को समर्पित एक भेदभाव मुक्त कैम्पस है. इसका मुख्य मक़सद कार्यकर्ता निर्माण करना है, यहाँ मौजूद “वॉकिंग बुद्धा” शांति का संदेश देते हैं. तेजदर्शन जी बताते हैं-“नागलोक के मक़सद है- प्रशिक्षण,नेटवर्किंग, अंतरराष्ट्रीय कान्फ्रेंस, ध्यान और सम्यक् आजीविका” नागलोक धम्मसेखिय प्रशिक्षण और डिग्री हेतु कालेज तो संचालित करता ही है. अपने स्टूडेंट्स का विशाल अलमुनाय नेट्वर्क बनाता है, उनके साल भर कार्यक्रम चलते रहते हैं, एक अंतर्राष्टरिय कान्फ्रेंस भी होती है, विचारों का आदान प्रदान होता है और नागपुर के लोगों के लिए बुद्ध धम्म व ध्यान आदि की सेवाएँ भी नागलोक उपलब्ध करवाता है, यहाँ पर सूर्य बुद्ध विहार और श्वेत बुद्ध विहार आना पान सती से लेकर अन्य ध्यान सम्बंधी आयोजन प्रति सप्ताह चलते रहते हैं. इन सबके साथ साथ नागलोक सम्यक् आजीविका के रूप में नैतिक बिज़नेस पर भी गतिविधियाँ संचालित करता है, जिसमें हथियार, नशे और हिंसा सम्बंधी व्यावसायिक कार्यों को छोड़ कर राइट लाइव्हीहुड के तहत नागलोक रेस्टोरेंट, नागलोक टूरिज़्म, नागलोक बुक शॉप, नागलोक गेस्ट हाउस जैसे गतिविधियाँ भी विध्यमान है.
सबसे अच्छा मुझे यह लगा कि सब तरह के कार्यक्रमों को यहाँ के पढ़े हुए स्टूडेंट्स ही सम्भालते हैं, चाहे बुक्स का विभाग हो अथवा नागलोक स्टे अथवा टूरिज़्म या किचन अथवा मीटिंग व ध्यान शिविर सबमें एलमुनाय की उपस्थिति नज़र आती है.
नागलोक का कैम्पस बहुत शांत, प्राकृतिक छटाओं से भरपूर है, सैंकड़ों प्रकार के पुष्प और पल्लव तथा पेड़ पौधे हैं, उनमें चहचहाती चिड़ियाँएं है, कूकती हुए कोयलें हैं, बेख़ौफ़ विचरण करते नाग भी है. लेकिन कभी किसी ने किसी को कोई हानि नहीं पहुँचाई है, सब सहअस्तित्व में जी रहे हैं, यहाँ चलने वाले कार्यक्रमों की ध्वनि शायद ही बाहर तक पहुँचती है, माइक लगा कर ऊँची आवाज़ के चिल्लपौं यहाँ के रिवाज़ में शामिल नहीं है.
दिन भर यहाँ बौद्ध धर्मावलंबी आते रहते हैं, उनके अलावा भी काफ़ी विज़िटर यहाँ पहुँचते हैं, नागपुर में यह जगह बेहद सुरम्य है, यहाँ का वातावरण एकदम नैसर्गिक है, हवाएँ साफ़ है,चित्त प्रसन्न हो जाता है, यहाँ बाबा साहब की एक अनूठी प्रतिमा लगी हैं, जिसमें वे धोती कुर्ता पहने है और उनके हाथ में लाठी है, उनका विचरण चलन्त बुद्ध प्रतिमा की तरफ़ है. हम लोग सुबह सुबह ताईची और मंडला निर्माण हेतु यहीं इकट्ठा होते थे, नागलोक का निर्माण विशेष प्रकार की ईंटों से हुआ है, जो देखने में नालंदा, लुम्बिनी, सारनाथ आदि स्थलों पर लगी प्राचीन ईंटों जैसी नज़र आती है.
नागलोक परिसर बहुत साफ़ सुथरा, हरा भरा और प्राकृतिक खूबियों से सम्पन्न है, यहाँ एक बार आने पर बार बार आने को मन करता है,आप भी कभी वक्त निकाल कर नागपुर के भिलगाँव स्थित नागलोक में हो आइये, आपको अच्छा लगेगा !

– भंवर मेघवंशी
लेखक का परिचय- 25 फरवरी 1975 को राजस्थान के भीलवाड़ा जिले की मांडल तहसील के सिरडियास गाँव में जन्म हुआ, कला और साहित्य की पढाई की और कालेज में अध्ययन के दौरान ही पत्रकारिता में प्रवेश किया. जन सरोकारों की पत्रिका डायमंड इंडिया का बारह वर्ष तक निरंतर संपादन व नियमित प्रकाशन किया, इस बीच दैनिक प्रभावित के लिये भी समाचार संपादक की भूमिका निभाई. दलित आदिवासी और घुमन्तु समुदायों के संवैधानिक अधिकारों के लिये लेखन और संघर्षों में शिरकत रही| वर्तमान में पीपुल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज के साथ जुडाव है. अब तक एक दर्जन किताबें प्रकाशित हो चुकी है, जिसमें से “मैं एक कारसेवक था” बेस्ट सेलर रही है. सामाजिक न्याय के पक्षधर पत्र पत्रिकाओं और सोशल मीडिया प्लेटफोर्म के लिये नियमित स्तम्भ लेखन और सामाजिक बदलाव के संघर्षों में शिरकत.
