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Mamta Banerjee Swearing-In: पश्चिम बंगाल की जनता ने तीसरी बार सत्ता की कमान ममता बनर्जी को सौंप दी है. आज ममता बनर्जी ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ले ली है. इस बार उनकी राह आसान नहीं है. ममता बनर्जी के सामने कई बड़ी चुनौतियां हैं. आइए जानते हैं-
कोरोना की स्थिति बेकाबू
बड़ी जीत की जिम्मेदारी
जब सरकार बड़ी जीत दर्ज करती है तो जनता की उम्मीदें भी बहुत ज्यादा होती हैं. ऐसी ही जीत इस बार पश्चिम बंगाल की जनता ने ममता बनर्जी को दी है. 2016 के मुकाबले टीएमसी को सीटें और वोट पर्सेंटे ज्यादा मिला है. 2016 में टीएमसी ने 294 में से 211 सीटों पर जीत हासिल की थी. इस बार ये आंकड़ा 213 पर पहुंच गया है.
वहीं वोट पर्सेंटेज की बात करें तो वो भी बढ गया है. इस विधानसभा चुनावों में बीजेपी के वोट प्रतिशत में करीब 2 प्रतिशत से कम की गिरावट हुई, जबकि टीएमसी का आंकड़ा 5 प्रतिशत बढ़ गया. 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने 40.7 प्रतिशत वोट हासिल किए थे जो कि इस बार घटकर 38.09 प्रतिशत हो गया है. वहीं, लोकसभा चुनावों में सत्ताधारी टीएमसी को 43.3 प्रतिशत वोट मिले थे जो कि अब बढ़कर 47.97 प्रतिशत हो गया है.
इस तरह जनता ने बड़ी जिम्मेदारियां भी ममता बनर्जी को दे दी हैं. राज्य में मीडिल क्लास और बेरोजगार युवाओं को काम देने का वादा हर सरकार करती है, अब इस बार मुख्यमंत्री के सामने ये चुनौती है कि वो कैसे हर वर्ग की जनता को काम और कमाई का जरिया दे पाती हैं.
केंद्र सरकार के साथ समन्यव
ममता बनर्जी और केंद्र सरकार में आरोप प्रत्यारोप की खबरें रोज आती रहती हैं. ममता कई बार आरोप लगा चुकी हैं कि केंद्र सरकार का रवैया पश्चिम बंगाल को लेकर भेदभाव वाला है. हाल ही में कोविड-19 की वैक्सीन को लेकर भी ममता ने कहा था कि वो मुफ्त में लोगों का वैक्सीनेशन करना चाहती हैं लेकिन केंद्र सरकार ऐसा नहीं करने दे रही. वैक्सीन की कीमत को लेकर भी ममता सवाल उठा चुकी हैं.
कई योजनाओं को लेकर ममता केंद्र की मोदी सरकार पर हमलावर रहती हैं. केंद्र सरकार भी कई बार ये आरोप लगा चुकी है कि ममता बनर्जी जरुरी बैठकों में अनुपस्थित रहती हैं. ऐसे में कोरोना की बेकाबू हो रही स्थिति को देखते हुए ममता बनर्जी को केंद्र सरकार के साथ मिलकर काम करना होगा और इस भयावत स्थिति से बाहर निकलना होगा. मुख्यमंत्री इस स्थिति में कैसे सरकार के साथ रिश्ते सुधारती हैं, ये बड़ी चुनौती है.
दामन साफ रहे
राज्य में हुए कोयला घोटाले के आरोप कई टीएमसी नेताओं पर हैं. इसमें ममता बनर्जी के भतीजे अभिषेक बनर्जी का नाम भी शामिल है. ऐसे में अबममता बनर्जी के ऊपर ये भी एक जिम्मेदारी है कि वो अपने तीसरे टर्म में सरकार पर घोटाले का दाग ना लगने दें.