क्रिकेट विश्वकप में भारत पर पाकिस्तान की पहली जीत, एकतरफ़ा मुकाबले में भारत की शर्मनाक हार

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ये सिलसिला 1992 को शुरू हुआ था, जब भारत और पाकिस्तान की टीमें पहली बार विश्वकप के मंच पर आमने-सामने आए थे। भारत ने उस कहानी की शुरूआत जीत के साथ की थी। उस जीत के बाद विश्वकप में जब भी हमारा सामना पाकिस्तान से हुआ, हमने उन्हें धूल चटाई। अभी तक विश्वकप में पाकिस्तान के सामने हमारा रिकॉर्ड 12-0 का था (टी-20 विश्वकप में 5-0 और वनडे वर्ल्डकप में 7-0)। मगर समय की सबसे खूबसूरत बात यही होती है कि वह बदलता है। और 29 साल बाद 24 अक्टूबर 2021 को 12-0 का रिकॉर्ड 12-1 में बदल गया। बाबर आजम की टीम ने अतिउत्साहित दिख रही टीम इंडिया को वर्ल्ड टी20 2021 में 10 विकेट से हरा दिया, और भारत-पाकिस्तान क्रिकेट के इतिहास में एक नया पन्ना जोड़ दिया।

पाकिस्तान के कप्तान बाबर आजम ने एक अहम मुकाबले में टॉस जीतकर भारत को पहले बल्लेबाजी का न्योता दिया। दूसरी पारी के समय ओस के कारण ये फैसला पाकिस्तान के पक्ष में गया। पहले बल्लेबाजी करने आई भारतीय टीम का शीर्षक्रम पाकिस्तानी तेज गेंदबाज शाहीन शाह अफरीदी के सामने ढ़ेर हो गया। अफरीदी की आग उगलती गेंदों ने पहले रोहित शर्मा (0) को एलबीडब्ल्यू और फिर लोकेश राहुल को 3 रन पर बोल्ड कर के भारत का शीर्षक्रम झकझोर दिया। एक बार फिर बायें हाथ के गेंदबाज के आगे भारत का शीर्षक्रम धराशायी हो गया। भारत अभी इन झटकों से उबर ही रहा था कि हसन अली ने सूर्य कुमार यादव का सूर्य अस्त कर भारत को गर्त में धकेल दिया। एक बार फिर सारी जिम्मेदारी कप्तान कोहली के कंधों पर आ गई। उनका साथ देने आए विकेटकीपर बल्लेबाज ऋषभ पंत, पंत और कोहली ने चौथे विकेट के लिए 51 रन के साझेदारी की लेकिन दबाव भारत पर साफ़ दिख रहा था। रन गति बढ़ाने के चक्कर में ऋषभ पंत अपनी विकेट गंवा बैठे। भारतीय कप्तान ने एक छोड़ से मोर्चा संभाले रखा, उन्होंने पाकिस्तान के खिलाफ एक और अर्धशतक ठोका लेकिन ये अर्धशतक देने वाला नहीं था। कोहली का विकेट भी शाहीन अफरीदी ने ही लिया। अफरीदी ने 31 रन देकर भारत के टॉप 3 बल्लेबाजों को पवेलियन की राह दिखाई। भारत किसी तरह 151 रन के स्कोर तक पहुंच गया। परिस्थितियों को देखती हुए ये रन कम थे।

लक्ष्य का पीछा करने उतरी पाकिस्तान की टीम कभी संकट में दिखी ही नहीं। उनके कप्तान बाबर आज़म और मोहम्मद रिजवान ने भारतीय गेंदबाजों की जमकर धुनाई की। ऐसा लग रहा था मानो आज ये दोनों बल्लेबाज तारीख बदलने ही आए हैं, उनके आगे भारत के धुरंधरों की एक न चली। ‘मिस्ट्री’ स्पिनर वरुण चक्रवर्ती प्रभाव छोड़ने में विफल रहे तो वहीं भारत की पेस बैट्री में वो धार नजर नहीं आई। पाकिस्तान के दोनों सलामी बल्लेबाजों ने चौके-छक्के लगाने के साथ-साथ  स्ट्राइक रोटेशन पर ध्यान दिया, जिससे भारतीय खेमा सकते में आ गया और पाकिस्तान पर दबाव बनाने में असफल रहा। पाकिस्तानी कप्तान बाबर आज़म ने 52 गेंदों में 68 रन तो वहीं उनका साथ दे रहे विकेटकीपर बल्लेबाज मोहम्मद रिजवान ने 55 गेंदों में 79 रन की ताबड़तोड़ पारी खेली। पाकिस्तान ने इस मैच को 13 गेंद शेष रहते अपने नाम कर लिया। इस मैच से पहले पाकिस्तान कभी 10 विकेट से नहीं जीता था, भारत कभी 10 विकेट से नहीं हारा था और पाकिस्तान कभी विश्व कप में भारत से नहीं जीता था मगर इस मैच के बाद ये तीनों ही रिकॉर्ड टूट गए। अफरीदी की स्विंग ने जहां महान गेंदबाज वसीम अकरम की झलक दिखाई तो वहीं रिजवान की बल्लेबाजी ने उस दौर की यादें ताजा कर दीं जब जावेद मियांदाद का बल्ला भारत के ख़िलाफ़ सिर चढ़कर बोलता था।

भारत का एक साथ सभी विभाग में फेल हो जाना बताता है कि इस वर्ल्डकप में भारत की तैयारी उतनी अच्छी नहीं है जितनी बताई जा रही थी। भारत के “ऑलराउंडर” हार्दिक पंड्या न बल्लेबाजी ही कर पा रहे हैं न फील्डिंग और गेंदबाजी ही, ऐसा लग रहा है कि वे टीम पर बोझ बन चुके हैं। इस मैच की बात करें तो पंड्या ने 8 गेंदों का सामना किया और इस दौरान उनके दाहिने कंधे में चोट लग गई। इसके अलावा टीम में अनुभवी लेग स्पिनर युजवेंद्र चहल की कमी साफ़ दिख रही है। वरुण की मिस्ट्री पर जितनी चर्चा हुई उनका प्रदर्शन उसके अनुकूल नहीं रहा। भारत के लिए बाएं हाथ के तेज गेंदबाज के आगे सरेंडर करने की समस्या अब चिंतित कर रही है। पहले मोहम्मद आमिर ने चैंपियंस ट्रॉफी के फाइनल में हमारे बल्लेबाजों को परेशान किया फिर वर्ल्डकप 2019 के सेमीफाइनल में कीवी गेंदबाज ट्रेंट बोल्ट हमारे बल्लेबाजों को तंग कर गए, और अब शाहीन अफरीदी ने ये काम किया है। भारत को अगला मुकाबला न्यूजीलैंड से खेलना है। वही कीवी टीम जिसने बीते 2 सालों में दो बार हमारे आईसीसी ट्रॉफी जीतने के सपने को मटियामेट कर दिया। हमारा सामना फिर उन्हीं ट्रेंट बोल्ट से होगा जो बायें हाथ के गेंदबाज हैं और उनकी अंदर आती गेंद बल्लेबाजों के किए काल बनकर आती हैं। भारत को यहां से पलटवार करना होगा। ऐसा नहीं है कि टूर्नामेंट यहीं समाप्त हो गया है, हमारा लक्ष्य विश्वकप की चमचमाती ट्रॉफी है और अभी उसकी उम्मीद खत्म नहीं हुई है।

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