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कोई भी खेल हमें प्रेम और सद्भाव ही सिखाता है, चाहे वो क्रिकेट हो या फुटबॉल, हॉकी हो या टेनिस, खेल के अंत में प्रतिद्वंदी एक-दूसरे को गले लगाते या हाथ मिलाते नजर आते हैं। क्रिकेट को तो भद्रजनों का खेल कहा जाता है, बोलचाल की भाषा में कहें तो ‘जेंटलमेंस गेम’ कहा जाता है। खेल है तो उसके प्रशंसक भी हैं, प्रशंसक भी ऐसे कि जब उनकी टीम जीतती है तो उसे भगवान बना लेते हैं और यदि हार जाए तो उनके साथ बुरा बर्ताव होता है। इस बुरे बर्ताव में जातिगत टिप्पणी से लेकर पत्थरबाजी तक शामिल हो जाती है। जब कोई खिलाड़ी धर्मिक टिप्पणी का शिकार होता है, उससे बुरा कुछ नहीं हो सकता, कुछ समय पहले इसके शिकार पूर्व क्रिकेटर वसीम जाफर हो गए थे, अब इन नफ़रती चिंटुओं के निशाने पर मोहम्मद शमी आ गए।
कल रात वर्ल्ड टी-20 के मैच में पाकिस्तान ने भारत को 10 विकेट से करारी शिकस्त दी। वर्ल्डकप मैचों में भारत पर पाकिस्तान की यह जीत पहली बार आई थी। पाकिस्तान ने शानदार खेल दिखाया और मैच भारत से ले गए। खेल खत्म होने के बाद भारतीय कप्तान विराट कोहली ने विपक्षी कप्तान बाबर आज़म और मोहम्मद रिजवान को गले लगाकर खेल भावना की अद्भुत मिसाल पेश की। ऐसे समय में जब अपने ही अपनों के लिए मन में द्वेष की भावना पाले बैठे हैं, ऐसे समय में विराट उस देश के कप्तान से गले मिलते हैं, जिसके बारे में कुछ अच्छे शब्द कहने पर आपको देशद्रोही होने का सर्टिफिकेट थमा दिया जाता है, उस पाकिस्तान के कप्तान को गले लगाना यह बताता है कि ‘खेल भावना सीमाओं से ऊपर है’।
एक तरफ भारत के कप्तान ने खेल भावना की खूबसूरत तस्वीर दुनिया के सामने रखी वहीं दूसरी तरफ भारतीय क्रिकेट के ‘मौसमी’ फैन्स ने भारत के स्टार तेज गेंदबाज मोहम्मद शमी को सोशल मीडिया पर जमकर गालियां दीं। मगर शायद ये तथाकथित भारतीय “क्रिकेट” के समर्थक यह भूल गए कि ये वही मोहम्मद शमी है जिसकी तेज बाउंसर और तेज-तर्रार यॉर्कर बल्लेबाजों में मन में अलग ही खौफ़ पैदा करती है। शमी को उन “फैन्स” की उस ओछी सोच का शिकार होना पड़ा है जो एक खिलाड़ी के लिए बिल्कुल भी मायने नहीं रखती। लोग भारत के इस स्टार गेंदबाज को इसलिए गालियां दे रहे हैं क्योंकि उन्होंने पाकिस्तान के खिलाफ अच्छी गेंदबाजी नहीं की, लेकिन कल तो भारत खेल के हर विभाग में फ्लॉप रहा था। भारत के सभी गेंदबाज बेरंग लग रहे थे। एक खिलाड़ी के तौर पर ऐसा दिन कभी भी आ सकता है। इसको लेकर लोग शमी को उनके धर्म से जोड़कर पाकिस्तान जाने की नसीहत भी देने लगे। कभी-कभी लगता है शमी का एकाध बाउंसर ऐसी घटिया मानसिकता वाले दिमाग पर भी पड़ना चाहिए।
ये वही मोहम्मद शमी हैं जिन्होंने पिछले महीने इंग्लैंड में हमें मिली टेस्ट जीत में अहम भूमिका निभाई। उस दिन यही “समर्थक” उनके बल्ले से निकलने वाले हर के चौके छक्के पर चिल्लाए जा रहे थे आज उन्हें गालियां दे रहे हैं। ये नफ़रती चिंटू तब कहाँ थे जब मोहम्मद शमी ने 2015 वनडे वर्ल्डकप में अपने दम पर पाकिस्तान के बल्लेबाजों को नेस्तनाबूद कर दिया था। अपनी 14 महीने की बेटी को अस्पताल में छोड़कर, मैदान पर भारत की जर्सी में अपनी आग उगलती गेंदों से विरोधी टीम की गिल्लियां बिखेरने वाले शमी को अगर आज ये देशभक्ति सीखा रहे हैं तो इससे बड़ी विडंबना शायद ही कुछ हो। यही गालियां उस दिन तालियों में बदल गईं थीं जब विश्वकप 2019 में शमी की हैट्रिक ने अफगानिस्तान के जबड़े से जीत छीन कर भारत की झोली में डाल दिया था।
मोहम्मद शमी आज भारत ही नहीं दुनिया के सबसे शानदार गेंदबाजों की सूची में शुमार हैं। हां, ये बात सच है कि पाकिस्तान के खिलाफ ये हार चुभने वाली है और गेंदबाजी पर कई सवाल खड़े करती है। मगर सवाल पूछने में और गालियां देने में उतना ही अन्तर होता है जितना अन्तर सचिन तेंदुलकर और लियोनल मेसी की बल्लेबाजी में है। अगली बार ये “मौसमी खेल प्रेमी”, फिर कोई नया बलि का बकरा ढूंढ लेंगे और उन्हें अपनी ओछी सोच का शिकार बनाएंगे। जब-जब ऐसे लोग खिलाड़ी बदनाम किए जाएंगे तब-तब कोई विराट कोहली किसी मोहम्मद रिजवान को गले लगा लेगा। जब-जब ये लोग किसी मुस्लिम खिलाड़ी को “ग़द्दार” कहेंगे, तब-तब राष्ट्रगान के समय किसी मोहम्मद सिराज की आंखें गिली पाएंगे। जब-जब ये खिलाड़ी किसी को पाकिस्तान देने की नसीहत देंगे तब-तब कोई इरफान पठान किसी फाइनल मुकाबले में पाकिस्तान की कमर तोड़ देगा। क्योंकि मोहब्बत घास की तरह होती है जो नफरत के मैदान में भी पनप ही जाती है, उसे कोई नहीं रोक सकता। कोई भी खिलाड़ी भारत की जर्सी में खेलता है तो वो अपना 100% देने की पूरी कोशिश करता है, इस कोशिश में उसके हाथ कभी-कभी असफ़लता भी लगती है, लेकिन इसका अर्थ ये नहीं हम अपने खिलाड़ियों को उनके धर्म के आधार पर उन्हें गालियां दें। कल जब शमी अच्छी गेंदबाजी करेंगे तब ये ही “फैन्स” किस मुंह से उनके लिए और इंडिया के लिए चीयर करेंगे ???