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डायबिटीज मलाइटस “मेटाबोलिक डिसऑर्डर्स” यानि उपापचयी विकारों का एक समूह है जिसमें रोगी का ब्लड शुगर यानि रक्त में शर्करा की मात्रा लम्बे समय तक बढ़ी रहती है. यह शरीर में इन्सुलिन नामक एक हॉर्मोन की कमी से होता है. इन्सुलिन हमारे शरीर में मौजूद पैंक्रियास नामक एक ग्रंथि द्वारा पैदा किया जाता है. पैंक्रियास ग्रंथि हमारे पेट में आमाशय के ठीक नीचे मौजूद होती है और इसमें उपस्थित बीटा सेल्स के द्वारा इन्सुलिन का निर्माण किया जाता है.
इन्सुलिन का क्या कार्य होता है?
इन्सुलिन हमारे रक्त में ग्लूकोस यानि शर्करा की मात्रा को नियंत्रित रखता है. ग्लूकोस हमारे शरीर को उर्जा प्रदान करता है और यह हमें भोजन से प्राप्त होता है. खासतौर पर कार्बोहायड्रेट युक्त भोजन से. ग्लूकोस, फ्र्क्टोस, गलक्टोस आदि कार्बोहायड्रेट की सबसे छोटी इकाई होते हैं जिन्हें और अधिक छोटे रूपों में तोडा नहीं जा सकता. जब हम भोजन करते हैं तो हमारी पाचन क्रिया के दौरान बड़े कार्बोहायड्रेट जैसे स्टार्च टूट कर ग्लूकोस में बदल जाते हैं और यह ग्लूकोस हमारे पाचन तंत्र से रक्त में पहुँच जाता है. यही ग्लूकोस हमारे शरीर को उर्जा की आपूर्ति करता है. जब रक्त में ग्लूकोस की मात्रा बढ़ जाती है तो हमारी पैंक्रियास ग्रंथि सक्रिय हो जाती है और यह इन्सुलिन का निर्माण शुरू कर देती है. यह इन्सुलिन रक्त में ग्लूकोस की मात्रा को नियंत्रित करता है.
डायबिटीज के लक्षण क्या हैं?
डायबिटीज के बहुत सारे लक्षण हो सकते हैं जो अलग अलग रोगियों में अलग अलग असर दिखाते हैं. बहुदा तो यह होता है कि डायबिटीज के शुरू होने के लम्बे समय के बाद लक्षणों का पता चलना शुरू होता है और तब तक बीमारी काफी बढ़ चुकी होती है. फिर भी इसके कुछ मुख्य लक्षण हैं जिनपर ध्यान दिया जाये तो बीमारी को जल्द पकड़ा जा सकता है और रक्त परीक्षण द्वारा इसकी पुष्टि की जा सकती है. ये मुख्य लक्षण इस प्रकार हैं :-
डायबिटीज किस लिंग और आयु वर्ग के लोगों में होता है?
डायबिटीज होने की संभावना स्त्रियों, पुरुषों और ट्रांसजेंडर सबमें समान होती है। पहले तरह का डायबिटीज, जिसे टाइप 1 या इन्सुलिन आधारित डायबिटीज भी कहा जाता है, 10 साल तक के बच्चों में ज्यादा पाया जाता है। दूसरे तरह का डायबिटीज यानि टाइप 2 या गैर इन्सुलिन आधारित डायबिटीज किसी भी आयु में हो सकता है। लेकिन ज्यादातर यह 40 से 60 वर्ष आयु वर्ग के लोगों में शुरू होता है। लेकिन यह जिंदगी के बीसवें और तीसवें दशक में भी शुरू हो सकता है। बहुदा ऐसा होता है कि यह रोग शुरू होने के कई साल बाद पकड़ में आता है और तब तक शरीर का काफी नुकसान कर चुका होता है.
डायबिटीज का कारण क्या है?
डायबिटीज एक गैर संक्रामक रोग है और अधिकतर गैर संक्रामक रोगों की ही तरह इसका कोई एक कारण नहीं है बल्कि बहुत सारे कारक हैं जो इसके होने में भूमिका अदा करते हैं। जैसे
इसके अलावा बढ़ा हुआ इन्सुलिन overies पर और टेस्टोस्टेरोन पैदा करने के लिए दबाव डालता है और इसके फलस्वरूप बढ़ा हुआ टेस्टोस्टेरोन और अधिक इन्सुलिन पैदा करवाता है. इस तरह से यह एक कभी न खत्म होने वाला चक्र शुरू हो जाता है. इसके अलावा अन्य होर्मोन्स का असंतुलन भी बढ़ता जाता है और साथ में वजन भी बढना शुरू हो जाता है जो डायबिटीज को और अनियंत्रित कर देता है. इसके अलावा डायबिटीज व मोटापे की वजह से अन्य गैर संक्रामक रोगों जैसे हृदय रोग, हाइपरटेंशन आदि का खतरा भी बढ़ जाता है.
तो इससे बचाव लिए क्या किया जाए?
पीसीओडी/पीसीओएस को पूरी तरह ठीक नहीं किया जा सकता. लेकिन सही जीवन शैली व् दवाओं के साथ इसे नियंत्रण में रखा जा सकता है और इसकी वजह से होने वाले डायबिटीज को रोका या नियंत्रित किया जा सकता है. समय पर संतुलित भोजन और शारीरिक व्यायाम के साथ समय पर निर्धारित मात्रा में दवाएं इसके लिए सबसे सही रणनीति है जिनकी मदद से रोगी अपने आपको स्वस्थ रख सकती है.
हाइपोग्लाइसीमिया या ब्लड शुगर का कम होना क्या है?
हाइपोग्लाइसीमिया डायबिटीज के रोगियों में होने वाली एक जटिलता है जिसमें रोगी के रक्त में ग्लूकोज की मात्रा बहुत कम हो जाती है जिसका समय पर इलाज न होने पर बेहोशी और मृत्यु भी हो सकती है.
हाइपोग्लाइसीमिया होने के क्या-क्या कारण हैं?
ब्लड शुगर कम होने (हाइपोग्लाइसीमिया) के क्या-क्या लक्षण हैं?
हाइपोग्लाइसीमिया से कैसे बचा जा सकता है?
अगर आप डायबिटीज के रोगी हैं तो आपको इसके कारणों व लक्षणों के बारे में पता होना चाहिए. रोगी को चाहिए कि हर समय अपने साथ चीनी की गोलियाँ या गुड़ का टुकड़ा या टॉफी जैसी कोई मीठी चीज रखनी चाहिए. जैसे ही इस तरह के लक्षण महसूस हों, फ़ौरन इनमें से कोई चीज या चीनी, चॉकलेट आदि खा लेनी चाहिए. या फिर बेहतर होगा कि पानी में ग्लूकोज या चीनी घोल कर पी लिया जाये. अगर इससे भी फर्क न पड़े तो डॉक्टर के पास तुरंत जाएँ. हो सके तो अपने पास ग्लूकोमीटर यानि रक्त शर्करा जांचने की मशीन भी जरुर रखें ताकि लक्षण महसूस होने पर तुरंत जाँच की जा सके कि शर्करा कितनी कम हुई है. इसके अलावा अपने पास एक पर्चा जरुर रखें जिसपर आपका नाम, पता, आपके द्वारा सेवन की जाने वाली दवाओं के नाम व डोज, इन्सुलिन की डोज की जानकारी लिखी हों ताकि इमरजेंसी की स्थिति में किसी को आपकी मदद करने में आसानी हो सके और डॉक्टर को भी इलाज करने में आसानी रहे. अगर आपके घर में कोई डायबिटीज का रोगी है तो उसे इस बारे में जरुर बता दें व आपातकालीन स्थिति में इसका जरुर ध्यान रखें.
सबसे महत्वपूर्ण बात है कि आप अपना भोजन पर्याप्त मात्रा में और समय पर करें. किसी भी समय का भोजन करना न भूलें.